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तराजू पर बैठा मुर्गा
ग्
राहक को घूर-घूर कर देख रहा था..
ग्
राहक : क्यों बे मुर्गे घूर क्यों रहा हैं मुझे ?
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किसी से बहस करना, मेरी आदत नहीं है
बेकार उलझते फिरना, मेरी आदत नहीं है
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हो के मायूस यूँ ना शाम की तरह ढलते रहिये,,,
#ज़िंदगी एक भोर है #सूरज की तरह निकलते रहिये,,,
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ग्
राहक: भाई लेडीज़ चप्पल दिखाना
लाइट वेट और नरम होनी चाहिए 😏
दुकानदार: समझ गया सर 🤔
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गर ज़िंदा रहे यारो, तो कल की सहर देखेंगे
रस्ते से हटे कांटे, तो अपनी भी डगर देखेंगे
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तरबूज़ बेचने वाले लड़के से मैंने पूछा
कि तरबूज़ पर थपकी मारने से तुम्हे कैसे पता चलता है
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