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Zindagi uljhanon ka shikar

हमने ज़िंदगी को, उलझनों का शिकार बना दिया
लोगों ने अपने कुसूर का भी; गुनहगार बना दिया
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Apno se dar lagta hai

हमें परायों से नहीं, अपनों से डर लगता है
हमें तो सच से नहीं, सपनों से डर लगता है
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Kudrat Ke Saamne

यारो क्यों जान अपनी, लुटाने पे तुले हो
क्यों अपने साथ सबको, मिटाने पे तुले हो
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