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हर दिन अगर सुहाना है, तो उसकी मंज़िल रात क्यों है
जीत में गर खुशी है, तो खेल में हार की बात क्यों है
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वो तो
मरने को भर्ती होते हैं, हमको क्या लेना देना
हम नेता चाहे देश को लूटें, जनता को क्या लेना देना
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गर गुलिश्तां है जिंदगी, तो इसकी मंज़िल श्मशान क्यों है
बिछड़ना ही है अगर प्यार में, तो वो इतना हैरान क्यों है
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पठान अपनी बीवी की क़ब्र पे ज़ोर-ज़ोर से पंखा चला के रो रहा था।
किसी ने कहा: इतनी मोहब्बत? या अल्लाह <3
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आज तो मेरे
मरने का मज़ा आ रहा है,
हर कोई मेरे करीब आ रहा है
जो मुझसे हमेशा ही दूर भागता था,
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जिसको वफा की कद्र नहीं, वो बेवफाई की कीमत क्या जाने
जिसको प्यार की कद्र नहीं, वो नफरत की कीमत क्या जाने
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खुद ही तय करते हैं मंज़िलें, रास्ता भी खुद बनाते हैं
जीते हैं अपनी शर्त पर, अपनी दुनिया भी खुद बनाते हैं
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जब तक सांस है किसी का सहारा मिल नहीं सकता
खुद ही तैरना होगा वरना किनारा मिल नहीं सकता
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मुस्कान तो देखी मगर, दिल का बबंडर नहीं देखा
चेहरे की चमक देखी, पर मन के अंदर नहीं देखा
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#मोहब्बत के नाम पर, क्यों रुलाते हैं लोग
सब कुछ लूट कर भी, क्यों भुलाते हैं लोग
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