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Matlab parast aadmi

जब चाहा तो पत्थरों को, भगवान् बना दिया !
जब चाहा तो घर आँगन की, शान बना दिया !
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Khud bhi badalna seekho

समय के साथ, खुद भी तो बदलना सीखो,
दुनिया के ढांचे में, खुद भी तो ढलना सीखो !
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Dil Pathar Na Ho Jaye

कहीं ज़िंदगी हमारी, बदतर न हो जाए
कहीं ये दिल हमारा, पत्थर न हो जाये
उगाते रहिये फसलें ग़म या ख़ुशी की,
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Zindagi Dekhni Hai To

मत समझो पत्थरों की दुनिया को सब कुछ,
गर तुमको देखनी है ज़िंदगी, तो गाँव चलिए !
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Ab Koi Ehsas Nahi Hota

अब किसी की घात का, अहसास नहीं होता !
ज़ख्मों में उठी टीस का, अहसास नहीं होता !
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Hum Aashiqui Samajh Baithe

वो मुस्कराये क्या, कि हम आशिक़ी समझ बैठे,
हम तो मौत के सामान को, ज़िन्दगी समझ बैठे
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Har lamha berukhi se

ज़िन्दगी का हर लम्हा, बेरुखी से तर निकला,
जिसको भी दिया दिल, वो सितमगर निकला !
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