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मैं अधूरी हसरतों का हिसाब क्या दूँ ,
उमड़ती फ़ितरतों का हिसाब क्या दूँ !
न देखो मेरे चेहरे की ज़र्द रंगत कोई ,
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यारो रास्ते तबाही के, ख़ुद बनाते हैं हम,
नफरतों को दिल में, ख़ुद सजाते हैं हम !
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जब नफ़रत भरी है दिल में, तो मोहब्बत क्या करेगी,
जब चाहत है डूब मरने की, तो किस्मत क्या करेगी!
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भला मुर्दों के शहर में, ज़िन्दगी का असर क्या होगा,
बनावट के इन मेलों में, सादगी का असर क्या होगा !
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आजकल लोग
नफरत भी
#डिजिटल करते हैं ....
सामने वाले को
#ONLINE देखते ही
खुद #OFFLINE हो जाते हैं !!! 😬
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ज़िन्दगी से क्या गिला, हमें ख़्वाहिशों ने मार डाला,
पिला कर जाम उल्फ़त का, साजिशों ने मार डाला !
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अपनी ज़िन्दगी ने, कितने ही बवाल देखे हैं !
जो थे कभी अपने, उनके भी कमाल देखे हैं !
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दौर ए गर्दिश का असर, कब तक रहेगा
यूं ही उलझनों का सफर, कब तक रहेगा
कभी तो टूटेगा आदमी का हौसला यारो,
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गुलशन में लगी आगों को, हम बुझाएं कैसे,
इन #मोहब्बत के परिंदों को, हम बचाएं कैसे !
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यारो यूं
नफरतें कमाने में क्या रखा है,
सब को दुश्मन बनाने में क्या रखा है !
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