135 Results
ज़िन्दगी से क्या गिला, हमें ख़्वाहिशों ने मार डाला,
पिला कर जाम उल्फ़त का, साजिशों ने मार डाला !
View Full
हर दस्तूर इस ज़माने का, निभाया हमने,
मगर न पा सके वो यारो, जो चाहा हमने !
न आये कभी काम जिन्हें समझा अपना,
View Full
बंता: तेरी बीवी कुछ कहती नही,
जब शाम को दारू पीके घर जाता है
संता: बोलती है कीड़े पड़ेंगे,
View Full
ज़िन्दगी का हर लम्हा, बेरुखी से तर निकला,
जिसको भी दिया दिल, वो सितमगर निकला !
View Full
दोस्तो कानों के हम भी,कच्चे नहीं हैं !
मगर तज़ुर्बे हमारे, कुछ अच्छे नहीं हैं !
View Full