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किसी भी हालात में, जीना आता है हमें,
ग़मों को ज़िगर से, लगाना आता है हमें !
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जिधर देखता हूँ उधर, अँधेरा ही अँधेरा है !
न जाने कितनी दूर, मेरी रात का सवेरा है !
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वो यूं ही ज़िंदगी भर, दिल दुखाते रहे,
वो हर तरह, मेरी मुश्किलें बढ़ाते रहे !
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हम तो बस अपनों की दगा से डरते हैं,
तूफ़ान झेल कर भी हवा से डरते हैं !
दुश्मनों से कोई शिकवा गिला नहीं,
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मोहब्बतों में दिल, लुटाना मेरी आदत है,
हर दर्द को सीने में, छुपाना मेरी आदत है !
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ख़ुद ही काँटों भरे ये रास्ते, हम बनाते क्यों हैं,
यारो पत्थर दिलों से रिश्ते, हम निभाते क्यों हैं !
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ज़िन्दगी से क्या गिला, हमें ख़्वाहिशों ने मार डाला,
पिला कर जाम उल्फ़त का, साजिशों ने मार डाला !
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