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मैं
दुश्मनों की बस्ती में, दोस्तों की तलाश करता हूं
मैं कोयले की खदानों में, हीरों की तलाश करता हूं
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वक़्त के साथ लोगों के व्यवहार बदल जाते हैं
दुश्मनों के साथ साथ उनके यार बदल जाते हैं
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अपना घर छोड कर, ठिकाना सीमा पर बना लिया
अपनी भी माता है मगर, भारत को माता बना लिया
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उल्फ़त के मारों से, मेरी दास्तां मत कहना
कभी तलबगारों से, मेरी दास्तां मत कहना
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कांटे मुझे मिलते रहे, हमेशा ही यार की तरह
चुभन से मिलता रहा, दर्द भी प्यार की तरह
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ऐ #दोस्त..! अब तू ही बता
तुझे ऐसा करने की #जरुरत क्या थी ?
#चाहते तो हम भी खोल देते, #किताब अपने #दिल की....
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ऐ #दोस्त..!
अब तू ही बता तुझे ऐसा करने की #जरुरत क्या थी ?
#चाहते तो हम भी खोल देते, #किताब अपने #दिल की....
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बा -मुश्किल मिली है आज़ादी, ज़रा संभल के रहिये
पहना दे बेड़िया फिर से न कोई, ज़रा संभल के रहिये
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हमें गैरों से नहीं सिर्फ अपनों से डर लगता है
हमें नफ़रत से नहीं #मोहब्बत से डर लगता है
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कभी ख्वाहिशों ने, फंसाया ज़िन्दगी को
तो कभी ज़रूरतों ने, रुलाया ज़िंदगी को !
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