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गर सताएं उनकी यादें, तो क्या करूँ,
गर चाहूँ उनसे मिलना, तो क्या करूँ!
हो सकती है मुलाक़ात ख्वाबों में बस,
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मै दीपक हूँ, मेरी
दुश्मनी तो सिर्फ़ अंधेरे से है
हवा तो बेवजह ही मेरे ख़िलाफ़ है ☹️
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वो यूं ही ज़िंदगी भर, दिल दुखाते रहे,
वो हर तरह, मेरी मुश्किलें बढ़ाते रहे !
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हम तो बस अपनों की दगा से डरते हैं,
तूफ़ान झेल कर भी हवा से डरते हैं !
दुश्मनों से कोई शिकवा गिला नहीं,
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मोहब्बतों में दिल, लुटाना मेरी आदत है,
हर दर्द को सीने में, छुपाना मेरी आदत है !
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ख़ुद ही काँटों भरे ये रास्ते, हम बनाते क्यों हैं,
यारो पत्थर दिलों से रिश्ते, हम निभाते क्यों हैं !
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ज़िन्दगी से क्या गिला, हमें ख़्वाहिशों ने मार डाला,
पिला कर जाम उल्फ़त का, साजिशों ने मार डाला !
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अगर पाना है कुछ, तो रोना जारी रखिये
अपने चेहरे पे, दिखावे की लाचारी रखिये
मक़सद हो जाये पूरा तो बदल लो चोला,
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वक़्त संभला, तो
दुश्मन भी यार हो गए,
पर ख़ास अपनों के चेहरे, बेज़ार हो गए !
वो दोस्त हुआ करते थे कभी फाकों में,
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यारो यूं नफरतें कमाने में क्या रखा है,
सब को
दुश्मन बनाने में क्या रखा है !
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