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खुद अपने ही दीये ने, अपना घर जला दिया ,
समझा जिसे
दिल, उसने ही दिल जला दिया !
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अब इस भीड़ में घुटता है दम, चलो कहीं और चलें,
ढूंढनी है सर-सब्ज़ फ़िज़ा, तो चलो कहीं और चलें !
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नए रिश्तों को पनपने में, देर तो लगती है,
यूं दुनिया को परखने में, देर तो लगती है !
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ये रात गुज़र जाए तो चले जाइएगा,
न रहे कोई अरमां तो चले जाइएगा !
बहुत बेचैन रहता है ये नादान
दिल,View Full
घर बैठे कभी फूल, मुस्कराने नहीं आते,
बिन ख़ुशी, मोहब्बत के तराने नहीं आते !
नफ़रत को उजड़ा हुआ आशियाँ समझो,
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कभी न कभी तो, ये वक़्त भी आना ही था,
जो आया था उसे तो, एक दिन जाना ही था !
क्यों लगा बैठे थे तुम एक मुसाफिर से
दिल,View Full
तुम्हीं पे मरता है ये
दिल, अदावत क्यों नहीं करता,,,
कई जन्मों से बंदी है, बगावत क्यों नहीं करता...
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गर सताएं उनकी यादें, तो क्या करूँ,
गर चाहूँ उनसे मिलना, तो क्या करूँ!
हो सकती है मुलाक़ात ख्वाबों में बस,
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आता है बुरा वक़्त, तो उजाले भी डराने लगते हैं ,
यारो चूहे भी शेर को, अपना दम दिखाने लगते हैं !
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जीते रहे हैं ज़िन्दगी, किसी का उधार समझ कर ,
निभाते रहे हम रिश्ता, किसी को प्यार समझ कर !
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