मजबूर थे जो #मोहब्बत हम ज़ता न सके,,,
#ज़ख्म खाते रहे मगर किसी को बता न सके...
चाहतों की हद तक #चाहा उनको यारो,,,
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#आँखों के सामने वो मँज़र आया है,
जिस पर #हमने अपना कद़म बढ़ाया है...
साथ जो तेरे माँ बाप का सारा है,
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जाने क्यूँ #लोग ये #एहसास दिलाते है,
हूँ मैं #अजनबी फिर क्यूँ #दिल को दुखाते है !!!
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