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मैं तो बस एक बुत हूँ जिसमें कोई भी अहसास नहीं
कितने तूफ़ां गुज़र गये मुझे इसका भी आभास नहीं
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#हवा के रुख को कोई #बदल नही सकता,
#सूरज के #
ताप को कोई सह नही सकता...
कर ले चाहे कोई कितने ही बदलावों की कोशिशें,
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आज तिने मला पहील्यांदा Touch केला….
आणि म्हणाली तुझ अंग किती गरम आहे,
तुला
ताप आलाय का…
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