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गर गुलिश्तां है
जिंदगी, तो इसकी मंज़िल श्मशान क्यों है
बिछड़ना ही है अगर प्यार में, तो वो इतना हैरान क्यों है
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खुदा की रहमत है ये
जिंदगी, इसे #प्यार करो
काली रात गुज़र जायेगी, #सुबह का इंतज़ार करो
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अय #ज़िन्दगी तू ही बता, तेरा क्या हवाल है
गर पूंछना है तो तू पूंछ ले, तेरा क्या सवाल है
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छोटी सी
जिंदगी, हर पल मुस्करा के बिताईये
हर लम्हा अनमोल है, उसको यूं ही न गँवाईये
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जो न समझा कोई, वो ज़ज्बात हूँ मैं
सुबह की चाह में गुज़री, वो रात हूँ मैं
निभाने से डरते हैं क्यों लोग रिश्ते,
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देखते ही देखते, सितारे बदल जाते हैं !
हाथ में आकर, किनारे फिसल जाते हैं !
दोस्तो उलझनों का सागर है ज़िंदगी,
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अब तो ज़िन्दगी भी, उचाट हो चली है !
उम्र भी तो यारो, कुछ खास हो चली है !
उदास बागवां की तरह बैठा हूँ किनारे,
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इससे पहले कि सनम, बेवफा हो जाएँ,
क्यों न उनकी ज़िंदगी से, जुदा हो जाएँ !
गर ख़ुशी मिलती है उन्हें हमारे बिना ही,
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दुनिया दिल के हौसले, आजमाती क्यों है,
हर किसी मोड़ पर, कांटे बिछाती क्यों है !
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डर है कि कहीं वो, बेवफ़ा न हो जाए,
बे-सबब ये #ज़िंदगी, तबाह न हो जाए !
वो तो बेख़बर है दुनिया की चालों से,
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