24 Results
हसरतों की #
जहर बुझी
लौ में मोम सा #दिल जला दिया हमने
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कौन #बिजली की धमकियां सहता,
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आज कल मुस्कराने का, कोई आधार नहीं मिलता
किसी को कैसे कहें अपना, वो आधार नहीं मिलता
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हर किसी को दी #इज्ज़त अब #रास नही आती,
ये #दुनिया अपनी मक्कारी से #बाज नही आती...
शब्दों के #ज़हर घोलने पर भी,
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कोई रो रहा है यहाँ, तो कोई हंस रहा है
कोई किसी पर, विषैले तंज़ कस रहा है
कोई बुन रहा है बैठ कर फरेबों के जाल,
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इंतजार का मीठा
जहर दिया आपने,
मुझ पर बडा करम किया आपने ....
एक #हिचकी भी तो नही आती कमबख्त,
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साजिशों की दुनिया में, सिर्फ चेहरे बदलते हैं!
हम जिधर भी जाते हैं, दुश्मन साथ चलते हैं!
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आरज़ू थी मेरे दिल की, कि कोई न मुझसे रूठे !
इस ज़िन्दगी में अपनों का, कभी न साथ छूटे!
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हमें तो हर कदम पर, ग़मों का ज़हर पीना पड़ा है
जीने की चाहत है मगर, घुट घुट कर जीना पड़ा है
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बड़ा ज़ुर्म करता हूँ कि, मैं ख्वाब देखता हूँ !
दिल के टूटे टुकड़ों का, मैं हिसाब देखता हूँ !
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मुझे तो हर तरफ, सिर्फ अँधेरा नज़र आता है,
ज़िंदगी का हर रंग, अब बदरंग नज़र आता है !
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