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कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी #जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर
चाहा जिसको हमने,
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उमड़ते हैं तूफ़ान दिल में, फिर भी मैं ख़ामोश हूँ,
दर्द ही दर्द है ज़िन्दगी में, फिर भी मैं ख़ामोश हूँ !
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उनका ख़याल दिल से, हम मिटा न पाए,
बहुत
चाहा भूलना मगर, हम भुला न पाए !
उनकी जफ़ाओं का है याद हमें हर लम्हां,
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भंवर से बच गया पर, साहिल पे फंस गया हूँ मैं,
बच गया गैरों से मगर, अपनों में फंस गया हूँ मैं !
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न कोई भी रिश्ता, दिल ❤ के करीब निकला,
जो भी निकला, वो दिल का गरीब निकला !
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तुम ने
चाहा ही नहीं हालात बदल सकते थे,
तेरे आाँसू मेरी आँखों से निकल सकते थे
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न थे हम ऐसे मगर, हमें ऐसा बना दिया,
अपनों की करतूत ने, बुत सा बना दिया !
#दिल तो है मगर ये धड़कता है ज़रा ज़रा,
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जब
चाहा तो पत्थरों को, भगवान् बना दिया !
जब
चाहा तो घर आँगन की, शान बना दिया !
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हर दस्तूर इस ज़माने का, निभाया हमने,
मगर न पा सके वो यारो, जो
चाहा हमने !
न आये कभी काम जिन्हें समझा अपना,
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चाहत की इस दुनिया में, केवल व्यापार मिले मुझको
चाहा जिसे फूलों की तरह, उससे ही खार मिले मुझको
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