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भेड़ों का इक झुण्ड है जनता, जिसकी अपनी कोई डगर नहीं
आगे की भेड़ किधर जाती है, इसकी उनको कोई
खबर नहीं.
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एक #अजनबी से बात क्या हुई क़यामत हो गयी
सारे #शहर को इस #चाहत की
खबर हो गयी
क्यूँ ना #दोष दू इस #दिल-ऐ-नादाँ को
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पत्थर की है ये दुनिया, यहाँ जज्बातों की कदर नहीं
दिल में मेरे तूफान मचा है, इसकी किसी को #
खबर नहीं
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आज कल कहीं से सुकून की
खबर नहीं मिलती
बेचैनियां इस कदर हैं चैन की सांस नहीं मिलती
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वक़्त कब आयेगा ज़िंदगी के लिये
जब ग़म न होंगे कुछ घड़ी के लिये
कोंन है तेरा इस दुनिया में अय दिल
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न मुझे नाम चाहिए न शौहरत चाहिए
खुशी से जीने की बस मोहलत चाहिए
#खुदा कसम मुझे #दौलत की चाहत नहीं
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कटती है पतंग तो, उसकी कोई डगर नहीं होती
कहाँ पे जा अटकेगी, किसी को
खबर नहीं होती
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आंसुओं को देखा तो जुबां हिला न सके
दिल में दबे तूफ़ान उनको दिखा न सके
दिल खो गया अंधेरों के आगोश में कहीं
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हम फौजीओं का ना कोई त्यौहार
#शहीद होने के बाद
फिर रोवे हमारा परिवार ...
दो दिन दिखाई जाए #TV पर हमारी
खबर.
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न जाने इस जुबां पे, वो दास्तान किसके हैं,
दिल में मचलते हुए, वो अरमान किसके हैं ?
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