मूर्ख थे हम कि उसको, अपना समझ लिया हमने
उसकी हर चीज़ पर, अपना हक़ समझ लिया हमने
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अब कुछ कहने कुछ सुनने से डरता हूँ मैं
उनकी महफिल में भी जाने से डरता हूँ मैं
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मजबूर थे जो #मोहब्बत हम ज़ता न सके,,,
#ज़ख्म खाते रहे मगर किसी को बता न सके...
चाहतों की हद तक #चाहा उनको यारो,,,
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