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Dil Mein Kuch Aur Hota Hai

लोगों के अंदर कुछ और, बाहर कुछ और होता है
दिखता है कुछ और, पर असल कुछ और होता है
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Dunia ko naadan mat samjho

ज़रा सी तेज़ हवा को, तूफ़ान मत समझो
वक़्त के मारों को, बे ईमान मत समझो
अपने अंदर भी झांक कर देख लो कुछ,
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Apne Ehsas Likhta Hu

क्या कहूँ और कैसे कहूँ,
कि मैं क्या #लिखता हूँ..
हर #व़क्त के हर #लम्हें में,
नये #अल्फ़ाज लिखता हूँ...
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Kisko hamdard samjhe

किस को हकीकत कहें, किस को वहम समझें
किस को कमतर कहें, किस को अहम समझें
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Pehle si mohabbat na rhi

कोई रो रहा है यहाँ, तो कोई हंस रहा है
कोई किसी पर, विषैले तंज़ कस रहा है
कोई बुन रहा है बैठ कर फरेबों के जाल,
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Dil bechain sa kyon hai?

यूं चहरे पे हवाइयां, दिल बेचैन सा क्यों है
क्या हुआ है #शहर को, ये बेजान सा क्यों है
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Soch ke Afsane kal ke

कर लिए जतन इतने, अपने आप को बदल के
फिर भी गुज़री #ज़िन्दगी, बस आसुओं में ढल के
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Mera Khwab Tod Diya

क्या कहूँ उन #लोगों को, जिन्होंने मेरा #साथ छोड़ दिया,
क्यूँ छोटी सी #बात पर उन्होंने, मेरा #हाथ छोड़ दिया...
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Dil se dil nahi milata koi

आज आँखों से आँखें, नहीं मिलाता कोई
आज #दिल से भी दिल, नहीं मिलाता कोई
नज़र आता है हर कोई खोया हुआ सा,
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Dard koi nahi samajhta

क्या गुज़री है दिल पर, कौन समझता है
किसी और का दर्द, भला कौन समझता है
खो गए गमों की भीड़ में मेरा #नसीब था,
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