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गर ज़िंदा रहे यारो, तो कल की सहर देखेंगे
रस्ते से हटे कांटे, तो अपनी भी डगर देखेंगे
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अब तक तो हवाएं थीं, तूफ़ान अभी बाक़ी है
यारो न निकलिए बाहर, शैतान अभी बाक़ी है
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निकल पड़ते हैं जज़्बात, क्या करें
दिल में अटकी है हर बात, क्या करें
उमड़ता रहता है दर्दे दिल अंदर ही,
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