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यारो यूं नफरतें कमाने में क्या रखा है,
सब को दुश्मन बनाने में क्या रखा है !
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यारो ज़िंदगी के सफर में, जलालत कम नहीं है
हर कदम पर फिसलने की, हालत कम नहीं है
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न जाने कितनों को, बदलते देखा है हमने
कितने रिश्तों को, बिखरते देखा है हमने
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हम औरों की चाह में, ख़ुद को भुला बैठे !
इन झूठों के फरेब में, सच को भुला बैठे !
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यारो चाहत थी जिसकी, न पा सके हम
खोल के #दिल अपना, न दिखा सके हम
खूब देखी क़रीब से ये मतलबी दुनिया,
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हमने तो इन हाथों की, हर लकीर मिटा डाली,
अपने ही हाथों से, अपनी तक़दीर मिटा डाली
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मत समझो पत्थरों की दुनिया को सब कुछ,
गर तुमको देखनी है ज़िंदगी, तो गाँव चलिए !
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क्यों कर न जाने दिल के, ये तराने बदल गए
जो साधे थे कभी हमने, वो निशाने बदल गए
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लोग अब भी, वो पुराना राग लिए फिरते हैं
सूरज की रोशनी में, चिराग लिए फिरते हैं
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ज़ालिम नफरतों ने जीना, मुहाल कर दिया
गुलशन सी ज़िन्दगी को, बदहाल कर दिया
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