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अब दिल के ज़ख्म, फिर हरे होने लगे हैं !
हम ग़मों से अब, फिर लवरेज़ होने लगे हैं !
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ये अजीब सा ही,
मौसम हो चला है आज कल ,
आदमी का धीरज, ख़त्म हो चला है आज कल !
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गर बाज़ार में मिलता प्यार, तो खरीद लेते हम भी,
होता बिकाऊ अगर ऐतबार, तो खरीद लेते हम भी !
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कभी तो बहार आएगी, कभी नूरे चमन बदलेगा ,
ख़ुदा पे है यकीं इतना कि, कभी तो करम बदलेगा !
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ये ज़िन्दगी सँवर जाये, अगर तो अपने पास हों,
शामो सहर बदल जाएँ, अगर तो अपने पास हों !
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नए रिश्तों को पनपने में, देर तो लगती है,
यूं दुनिया को परखने में, देर तो लगती है !
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कैसे हैं ये
मौसम, जो सताने चले आते हैं,
फिर से #याद उनकी, दिलाने चले आते हैं !
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ग़मों का आलम, बदलते भी देर नहीं लगती,
खुशियों के रंग, बिगड़ते भी देर नहीं लगती !
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ख़ुदाया वो भी हमारी, ज़िन्दगी हुआ करते थे ,
उनके लिए यारो हम, दिन रात दुआ करते थे !
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क्यों कर न जाने दिल के, ये तराने बदल गए
जो साधे थे कभी हमने, वो निशाने बदल गए
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