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चेहरे पे ग़म, दिल में रुसबाइयां दे गया कोई !
जाते जाते भी, आँखों में रुलाइयां दे गया कोई !
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हर दीवाने को, यूं ही बे-वफ़ा मत कहिए,
मोहब्बत तो खुदा है, इसे सज़ा मत कहिए !
मज़बूरियां भी तो हो सकती हैं किसी की,
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हैं करम उनके दोषी मगर, तक़दीर को दोष देते हैं
वो बोते हैं खुद बबूल मगर, जमीन को दोष देते हैं
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दिल को मनाने में, ज़रा मुश्किल तो होती है,
किसी को भुलाने में, ज़रा मुश्किल तो होती है !
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ये नाम किस के लिए, बदनाम किस के लिए,
ज़रा सी ज़िन्दगी है, अभिमान किस के लिए !
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रूठे गर जमाना भी, तो मना लेंगे हम,
भड़कते हैं शोले भी, तो बुझा देंगे हम !
अपनों का साथ हो तो ग़म कैसा यारो,
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मन को भा जाए अगर, तो ज़रा सी बात काफी है,
ज़िन्दगी जीने के लिए, अपनों का साथ काफी है !
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किसी की ज़िन्दगी, किसी को मिटाने का क्या हक़ है,
खुद की ख़ुशी के लिए, औरों को रुलाने का क्या हक़ है !
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दुनिया में किसी का कोई, ग़म बंटाने नहीं आता,
कोई लफ़्ज़ों का मरहम भी, अब लगाने नहीं आता !
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दिल के तूफ़ान को, होठों तक ज़रा आने तो दीजिये,
ग़मों के काले बादलों को, दूर ज़रा जाने तो दीजिये !
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