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कभी सपनों को सजाने में, उम्र गुज़र जाती है,
कभी रिश्तों को बचाने में, उम्र गुज़र जाती है !
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इससे पहले कि सनम, बेवफा हो जाएँ,
क्यों न उनकी ज़िंदगी से, जुदा हो जाएँ !
गर ख़ुशी मिलती है उन्हें हमारे बिना ही,
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हम तो अपनों को, अपना संसार समझ बैठे,
उन्हें ज़िन्दगी की नैया का, पतवार समझ बैठे !
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आज एक भाई साहब पेड़ पे उल्टा लटक रहे थे,
मैंने पूछा ऐसा किस ख़ुशी में लटके हो भाई?
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ख़ुशी से जीने के लिए, ज़रा सा प्यार काफी है
नहीं है चाह मिलने की, बस इंतज़ार काफी है
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हद से ज्यादा
खुशी और
हद से ज्यादा गम किसी को मत बताओ ॥
जिन्दगी में लोग हद से ज्यादा
खुशी पर “नजर”
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न तो ग़मों का गम है, न ख़ुशी की ख़ुशी हमको !
भट्टी में पका चुकी है खूब, ये ज़िन्दगी हमको !
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जिधर देखता हूँ उधर, अँधेरा ही अँधेरा है !
न जाने कितनी दूर, मेरी रात का सवेरा है !
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दुनिया दिल के हौसले, आजमाती क्यों है,
हर किसी मोड़ पर, कांटे बिछाती क्यों है !
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हमें कुछ उलझी बातो को
जहन मे ही दफन करना होता है
लेकिन इंसान जज़्बातो को ही दफन कर देता है,
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