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जीना चाहा तो ज़िन्दगी, दूर होती चली गयी !
कमाल ये कि हर शै, मजबूर होती चली गयी !
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जुगनुओं की रोशनी से, अँधेरा हटा नहीं करता,
कभी शबनम की बूंदों से, दरिया बहा नहीं करता !
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दुनिया में
खुशियों के नज़ारे, कम नज़र आते हैं,
हर किसी के दिल में, गम ही गम नज़र आते हैं !
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जिन्दगी की कशमकश ने, चाहतों को मार डाला,
धूप की इस तपिश ने, ठंडी हवाओं को मार डाला !
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क्यों चले आते हैं लोग, यूं ही जी जलाने के लिए !
कर के
खुशियों का वादा, उम्र भर रुलाने के लिए !
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कभी जलते थे दीप
खुशियों के, अब अँधेरा हो गया,
अब तो किसी से प्यार करना, जी का झमेला हो गया !
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चेहरे पे ग़म, दिल में रुसबाइयां दे गया कोई !
जाते जाते भी, आँखों में रुलाइयां दे गया कोई !
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हर दीवाने को, यूं ही बे-वफ़ा मत कहिए,
मोहब्बत तो खुदा है, इसे सज़ा मत कहिए !
मज़बूरियां भी तो हो सकती हैं किसी की,
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गर बाज़ार में मिलता प्यार, तो खरीद लेते हम भी,
होता बिकाऊ अगर ऐतबार, तो खरीद लेते हम भी !
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दुनिया के सारे ग़म को, दिल में समां लिया मैंने
एक फूल से दिल को भी, पत्थर बना लिया मैंने
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