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तक़दीर ने मदारी की तरह नचा दिया हमको
फिर फिर उठा के फिर फिर गिरा दिया हमको
हम तो किसी को ना भुला पाये आज तक,
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प्यार की दास्तां, किसी से भला क्या कहिये
खुदगर्ज़ दुनिया से, अपने अज़ाब क्या कहिये
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अपने नसीब में, अपनों का सहारा नहीं दोस्तो
कितना ही दिल लुटाऊँ, कोई हमारा नहीं दोस्तो
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हर वक़्त कोसते हैं मौत को हम सब,
असल में तो ज़िंदगी जीने नहीं देती
वो सुला देती है आराम की नींद हमें,
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खुदगर्ज़ दुनिया में, ए दिल तू रहना सीख ले
ज़माने के रंजो ग़म, अब तू सहना सीख ले
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दुनिया की बेरुख़ी ने, चुप रहना सिखा दिया
ज़िंदगी का हर गम, हमें सहना सिखा दिया
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दूसरों का #वक्त बर्बाद करके,
ये #जमाना अपना वक्त काटता है
मगर इन
खुदगर्ज़ लोगों में कोई ऐसा भी है
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ज़िन्दगी में #खुद को कभी
किसी इंसान का “आदी” मत बनाइए !!!
*क्यूँकि #इंसान बहुत #
खुदगर्ज़ है *
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