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इंसान घर बदल देता है मुकाम बदल देता है
रिश्ते बदल देता है दोस्त भी बदल देता है
उसको खुशी नसीब नहीं होगी
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हवा आज इतनी बेचैन सी क्यों दिखती है
हर मुस्कान आज मायूस सी क्यों दिखती है
हैरत की बात है ये,
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कोई तो अपने घर पर सोये, कोई सड़कों पर रैन गुजारे
ये भी कैसा नसीब है
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फ़ना कर दे
अपनी सारी ज़िन्दगी
ख़ुदा की मुहब्बत में
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यही वो प्यार है
जिस में बेवफ़ाई नहीं होती...
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जिस पर जां निसार थी, उसने हमें भुला दिया
उस बेवफा के दर्द ने, हमें बेहताशा रुला दिया
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सज्जन दौड़ रहा है इज़्ज़त बनाने के लिये
तो दुर्जन दौड़ रहा है कुचक्र चलाने के लिये
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(image)
अपना घर छोड कर, ठिकाना सीमा पर बना लिया
अपनी भी माता है मगर, भारत को माता बना लिया
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मैं क्यों किसी के कहने से
अपनी आवाज़ बदल डालूं
मैं क्यों किसी के कहने से अपना अन्दाज़ बदल डालूं
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लोग फूलों से प्यार करते है पर काटों से मुंह चुराते हैं
फूलों की ज़िंदगी ही क्या वो तो जल्दी ही सूख जाते हैं
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खुद ही तय करते हैं मंज़िलें, रास्ता भी खुद बनाते हैं
जीते हैं
अपनी शर्त पर,
अपनी दुनिया भी खुद बनाते हैं
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