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क्या कहूँ और कैसे कहूँ,
कि मैं क्या #लिखता हूँ..
हर #व़क्त के हर #लम्हें में,
नये #अल्फ़ाज लिखता हूँ...
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क्या कहूँ उन #लोगों को, जिन्होंने मेरा #साथ छोड़ दिया,
क्यूँ छोटी सी #बात पर उन्होंने, मेरा #हाथ छोड़ दिया...
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तुम मुझे खुशियों के वो पल दोबारा दे दो
मेरी डूबती नैया को ज़रा सा सहारा दे दो
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हर #रात के बाद भी, एक #सुबह होती है,
फूटी #किस्मत में भी लिखी, #तक़दीर होती है!
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लोग
अपनी बीबिओं का हर नाज़ उठाते हैं
उनकी हर ख्वाहिश को दिल से निभाते हैं
पर जब उसकी कोख में बेटी आती है,
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पैर की मोच और छोटी सोच,
हमें आगे बढ़ने नहीं देती ।
टुटी कलम और औरो से जलन,
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She - Sorry मैं तुम्हे अपना #दिल नही दे सकती
कुछ और मांग लो
.
.
Me - ठीक है तो
अपनी एक किडनी दे दे .
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कोई नहीं रुकता यहाँ, सब
अपनी राह चले जाते हैं
कोई आगे चले जाते हैं, तो कोई पीछे चले जाते हैं
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भूल जाओ यारो, अपने हाथों की लकीरों को
खुद ही बनाना पड़ता है,
अपनी तक़दीरों को
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संता ऑफिस जाने के लिए अपने तीसरे माले के फ़्लैट से
नीचे आ गया तब उसे ध्यान आया कि
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