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मुद्दत गुज़र जाती है अपनों को
अपना बनाने में,
वक़्त यूं ही गुज़र जाता है बस मुश्किलें सुलझाने में...
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कभी हम भी उनके नज़दीक रहा करते थे
उनके दिए हर दर्द ओ ज़ख्म सहा करते थे
अपनी ज़िंदगी को न जाना कभी
अपनाView Full
जब वक़्त अच्छा था, तो रिश्ते निखरते चले गए
जब ख़राब दौर आया, तो रिश्ते बिखरते चले गए
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उनके लिए #दिल को, जलाना हमें आता है
उनके दुःख दर्द को,
अपनाना हमें आता है
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नज़रों की चाहत है, कि जी भर के दीदार करें
और #दिल चाहता है, कि जी भर के प्यार करें
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जो थे दिल के मेहमान कभी, जाने कैसे निकल गए
पक्के थे अपने रिश्ते, क्यों मोम के जैसे पिघल गए
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दुनिया चाहे जो सोचे,
अपना एक ही #उसूल है...
जिसे चाहा उसे #टूट कर चाहा
और
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हर मुश्किल में, साथ निभाता है दोस्त
हमारे ग़मों को,
अपना बनाता है दोस्त
खून के रिश्ते छूट जाते हैं पीछे, मगर
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बहुत ही जूनून था, हमें लोगों पर दया करने का
खुद को मिटा कर भी, उनका ही भला करने का
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दिल खोल कर रख दिया, उन्हें #दिलदार समझ कर
अपनी ज़िन्दगी दे दी हमने,
अपना #यार समझ कर
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