13 Results
बनकर
अजनबी मिले थे जिन्दगी के सफर में
इन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नही
अगर याद रखना फितरत है आपकी
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गर गुलिश्तां है जिंदगी, तो इसकी मंज़िल श्मशान क्यों है
बिछड़ना ही है अगर प्यार में, तो वो इतना हैरान क्यों है
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एक #
अजनबी से बात क्या हुई क़यामत हो गयी
सारे #शहर को इस #चाहत की खबर हो गयी
क्यूँ ना #दोष दू इस #दिल-ऐ-नादाँ को
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जिंदगी का मेला अब उखड़ता सा जा रहा है
कल तक थी रौनक अब उजड़ता जा रहा है
कितने लोग आये थे गये थे कुछ पता नहीं
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आज तो मेरे मरने का मज़ा आ रहा है,
हर कोई मेरे करीब आ रहा है
जो मुझसे हमेशा ही दूर भागता था,
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आना नहीं है जिसको, उसका इंतज़ार क्यों होता है
किसी
अजनबी के लिये, दिल बेकरार क्यों होता है
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जिन्दगी की राह में गम का उजाला आता क्यूँ है
जिसको चाहो वही रुलाता क्यूँ है
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ये ज़िन्दगी ऐसी भी होगी, ये कभी सोचा न था
हो जाएंगे यूं अपने पराये, ये कभी सोचा न था
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जाने क्यूँ #लोग ये #एहसास दिलाते है,
हूँ मैं #
अजनबी फिर क्यूँ #दिल को दुखाते है !!!
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रहना है इस शहर में, तो अपनी फितरत बदल डालो
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अजनबी शहर में, अपनी झूठ की इबारत बदल डालो
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