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Har Kadam Badalte Rishte

देखे बड़े करीब से, बिगड़ते रिश्ते
कदम दर कदम पे, बदलते रिश्ते

यूं ही फंस कर कपट के जालों में,
एक एक निवाले को, तरसते रिश्ते

बहुत मुश्किल है न समेंट पाओगे,
अपनों की घातों से, बिखरते रिश्ते

कोंन लेता है खबर किसी की अब,
दिखते हैं अभागे से, सिसकते रिश्ते

हाबी है झुर्रियों पे चेहरों की चमक,
दिखते हैं अनाथों से, बिलखते रिश्ते

मर चुकीं तमन्नाएँ माँ बाप की यारो,
हमने देखे हैं दरबदर, भटकते रिश्ते

कितनी कहूँ दास्ताँ रिश्तों की ‘मिश्र’
मिलते हैं हर गली में, तड़पते रिश्ते

Mohabbat Ki Adayein

हमें मोहब्बत की अदाएं, दिखाना नहीं आता
हमको महल आसमां पर, बनाना नहीं आता

ज़रा सा कच्चे हैं हम यारो इश्क़ के मसले में
हमें अपना चीर के सीना, दिखाना नहीं आता

है अंदर कितनी चाहत ये तो दिल जानता है,
हमको यूं तमाशा सरेआम, दिखाना नहीं आता

जाने लिखे हैं तराने कितने मुहब्बत पर हमने,
मगर यूं महफ़िलों में हमको, सुनाना नहीं आता

डरते हैं हम तो इस जमाना की बुरी नज़रों से,
मगर फिर भी हमें खुद को, छुपाना नहीं आता

हम तो वैसे ही हैं 'मिश्र' जैसे दिखते हैं ऊपर से,
मुखौटा वनावटों का हमको, लगाना नहीं आता

Kaun Sa Asli Hai

काश इंसान भी नोटों की तरह होता,
फिर उसको भी रौशनी की तरफ करके,
हम पहचान पाते कि कौन सा,
असली है और कौन सा नकली…

Nafrat Karne Wale

नफरत करने वाले भी
कमाल का हुनर रखते है!!
देखना भी नहीं चाहते,
और नजर भी हर वक़्त रखते हैं !! :)

Nikal padte hain jazbaat

निकल पड़ते हैं जज़्बात, क्या करें
दिल में अटकी है हर बात, क्या करें

उमड़ता रहता है दर्दे दिल अंदर ही,
अब न करता है कोई बात, क्या करें

अपने ही मसलों में मशगूल हैं सब,
अब न बढ़ाता है कोई हाथ, क्या करें

चाहत है हमसफ़र की हमें भी यारो,
मगर न आता है कोई साथ, क्या करें

न मिलता शरीफजादा कोई भी हमें,
जिगर में भरी है ख़ुराफ़ात, क्या करें

लगा दी उम्र हमने सुबह की आस में,
पर न गुज़री वो काली रात, क्या करें

कैसा नसीब पाया है हमने भी 'मिश्र',
न संभलती है बिगड़ी बात, क्या करें